tag:blogger.com,1999:blog-7479892021808539083.post9182273800317804382..comments2023-05-25T06:01:03.306-07:00Comments on पैलाग: यूज़ टूदर्पण साहhttp://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7479892021808539083.post-24356086904610606552012-07-28T06:54:49.802-07:002012-07-28T06:54:49.802-07:00कैसे कोई 'रिसेप्शनिस्ट' इतना मुस्कुरा सक...कैसे कोई 'रिसेप्शनिस्ट' इतना मुस्कुरा सकती है. लगातार? क्या पहले दिन जब उसने ज्वाइन किया होगा उस दिन भी? या अब ये मजबूरी उनकी आदत बन गयी है? शायद 'यूज़ टू' होना इसे ही कहते हैं.मुझे यकीन है 'यार जुलाहे' की पहली बुनाई में कई कई गिरहें नज़र आती होंगी. पक्का!<br />superb...!!<br /><br />"भाई साब... बात करो ना... इतना ही कह दो कि ये ठीक हो जाएगा."<br />................"पेशेंट नम्बर.....!!Himantikahttps://www.blogger.com/profile/00903074176239162220noreply@blogger.com